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भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2030 तक एक करोड़ इकाई सालाना तक बढ़ने की उम्मीद

भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2030 तक एक करोड़ इकाई सालाना तक बढ़ने की उम्मीद

भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2030 तक एक करोड़ इकाई सालाना तक बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही ईवी उद्योग में पांच करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान है.
संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में यह जानकारी दी गई है.

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बिक्री के मामले में भारत पिछले महीने यानी दिसंबर 2022 में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया. इसमें कहा गया है, ”मोटर वाहन उद्योग, हरित ऊर्जा की दिशा में बदलाव में अहम भूमिका निभाएगा. घरेलू ईवी उद्योग के 2030 तक 49 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है. वहीं 2030 तक वार्षिक बिक्री के एक करोड़ इकाई तक पहुंचने का अनुमान है.”
सरकार ने उठाए कई कदम

उद्योग का अनुमान है कि पिछले वर्ष के दौरान देश में कुल ईवी बिक्री लगभग 10 लाख इकाई रही. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ”ईवी उद्योग 2030 तक पांच करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगा. सरकार ने इस क्षेत्र को समर्थन के लिए कई कदम उठाए हैं.” समीक्षा में कहा गया है कि वाहन क्षेत्र का देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.1 प्रतिशत का हिस्सा है. विनिर्माण जीडीपी में क्षेत्र का हिस्सा 49 प्रतिशत है. 2021 के अंत तक इस क्षेत्र में 3.7 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ था.
बहुत तेजी से बढ़ रही इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग

देश में बीते कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है. नतीजतन कई बड़ी कंपनियां अब सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. टाटा मोटर्स वर्तमान में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार बेचने वाली है. दूसरी तरफ महिंद्रा और हुंडई भी इस दौड़ में शामिल हो गई हैं. दोनों कंपनियों ने हाल ही एक नई इलेक्ट्रिक एसयूवी कारों को बाजार में उतारा है. हाल ही में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी ने बहुत जल्द इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में उतरने की जानकारी दी है.

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